सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– योगà¥à¤¯à¤¤à¤® शिषà¥à¤¯
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Manmohan Kumar AryaDate
28-Feb-2016Category
à¤à¤¾à¤·à¤£Language
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UmeshUpload Date
01-Mar-2016Download PDF
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सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी महाराज आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के अनूठे संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ थे। आपने अमृतसर के निकट सनॠ1937 में दयाननà¥à¤¦ मठदीनानगर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की और वेदों का दिगदिगनà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को इतिहास में अमर कर दिया। आपके बाद आपके पà¥à¤°à¤®à¥à¤– शिषà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ इसी मठके संचालक व पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• रहे। आपके जीवन पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने à¤à¤• लेख के माधà¥à¤¯à¤® से बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ जानकारी दी है। उसी को हमने आज के इस लेख की विषय वसà¥à¤¤à¥ बनाया है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी लिखते हैं कि पूजà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤¦ सनà¥à¤¤ शिरोमणि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी महाराज इतिहास के à¤à¤• जाने-माने विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ थे। पà¥à¤°à¥‹. राजेंदà¥à¤° ’जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥’ ने पूजà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज का जीवन-चरित लिखा है और ‘इतिहास दरà¥à¤ªà¤£’ नाम से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज के पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤ªà¥à¤°à¤¦ लेखों की खोज, संकलन व समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ किया है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी महाराज पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤µà¤°à¥à¤· तीन बार दीनानगर मठमें कथा किया करते थे। सदा नई-नई घटनाà¤à¤‚ और नये-नये उदहरण दिया करते थे। दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ विशà¥à¤µà¤¯à¥à¤¦à¥à¤§ के दिनों में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने हरियाणा का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ किया। हरियाणा सैनिक à¤à¤°à¤¤à¥€ का बहà¥à¤¤ बड़ा कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° है। शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने हरियाणा के जवानों को देश के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपना करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ निà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दी थी। उनके देश-पà¥à¤°à¤® को उबारा। तब देश के अनà¥à¤¦à¤° ‘à¤à¤¾à¤°à¤¤ छोड़ो’ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ चल रहा था और देश से बाहर आजाद हिनà¥à¤¦ सेना देश को गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ के बनà¥à¤§à¤¨ से मà¥à¤•à¥à¤¤ करने के लिठलड़ रही थी। शà¥à¤°à¥€ महाराज की इस à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤• यातà¥à¤°à¤¾ में शà¥à¤°à¥€ जगदेवसिंह सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥€ व आचारà¥à¤¯ à¤à¤—वानà¥à¤¦à¥‡à¤µ जी, परवरà¥à¤¤à¥€ नाम सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ओमाननà¥à¤¦à¤¸à¤°à¤¸à¥à¤µà¤¤à¥€ उनके साथ रहे। इनका कहना था कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ नया-नया इतिहास और नई-नई घटनाà¤à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ थे।
विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ शिकà¥à¤·à¤¾à¤µà¤¿à¤¦à¥ विदà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¾à¤°à¥à¤¤à¤£à¥à¤¡ आचारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤µà¥à¤°à¤¤à¤œà¥€ कहा करते थे कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी को आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के इतिहास की छोटी-बड़ी घटनाओं का जितना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था उतना और किसी को नहीं। आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ इस बात पर होता था कि यह सारा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤®à¤°à¤£ वा कंठसà¥à¤¥ था। डायरी या नोट बà¥à¤• देखने की कà¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ नहीं पड़ती थी। à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ इतिहास की बातें à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ महाराज यदा-कदा सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ करते थे। à¤à¤• बार पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ इतिहासकार शà¥à¤°à¥€ जयचनà¥à¤¦à¥à¤° विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤‚कार दीनानगर मठ, निकट अमृतसर में आये। आपने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ महाराज से पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के नगरों व पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ के नाम पूंछें। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने उनकी सारी समसà¥à¤¯à¤¾ का समाधान कर दिया और à¤à¤¤à¤¦à¥à¤µà¤¿à¤·à¤¯à¤• à¤à¤• लेख à¤à¥€ पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ करवाया। पं. चमूपति जी आरà¥à¤¯à¤œà¤—तॠके à¤à¤• अदà¥à¤à¥à¤¤ लेखक, कवि व विचारक थे। आपकी सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी महाराज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ असीम शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ थी। आप लाहौर में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ महाराज से इतिहास-विषय पर घणà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ चरà¥à¤šà¤¾ किया करते थे। आपने लिखा है कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ को इतिहास की खोज का चसà¥à¤•à¤¾ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ महाराज को विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚, वरà¥à¤—ों व जातियों के इतिहास व रीति-नीति का सूकà¥à¤·à¥à¤® जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था।
किस मत की कौन-सी बात कैसे आरमà¥à¤ हà¥à¤ˆ, कौन-सा मत कैसे पैदा हà¥à¤†, उसने संसार का कà¥à¤¯à¤¾ व कितना हित-अहित किया, विशà¥à¤µ पर कितना पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ छोड़ा, इन सब बातों की विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ विवेचना सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी किया करते थे। शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾ व पाठक सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज के गमà¥à¤à¥€à¤° जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को देख, सà¥à¤¨ व पढ़कर आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ करते थे। सिख इतिहास के à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ मरà¥à¤®à¤œà¥à¤ž थे। सिखमत किन परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†, कà¥à¤¯à¤¾ कारण थे, सिखपंथ कैसे बढ़ा, इसने देश के लिठकà¥à¤¯à¤¾ किया, कहां à¤à¥‚ल की--सिख गà¥à¤°à¥à¤“ं का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• मनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ था, लोगों ने इसे कितना समà¤à¤¾ और देश पर इसका कà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ पड़ा, इन सब बातों का उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ गहरा व पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ था। जाने-माने सिख विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ पà¥à¤°à¤¿à¤‚सिपल गंगासिंहजी की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ पर आपने सिख मिशनरी कालेज में सिख इतिहास पर à¤à¤• सपà¥à¤¤à¤¾à¤¹ तक वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिये। वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤®à¤¾à¤²à¤¾ की समापà¥à¤¤à¤¿ पर जब पà¥à¤°à¤¿à¤‚सिपल गगासिंह जी ने पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पूछने को कहा तो सबने यह कहा कि हमें कोई शंका नहीं है। हमें सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने तृपà¥à¤¤ कर दिया है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ जोधासिंह जी तो दयाननà¥à¤¦ मठ, दीनानगर में आकर आपसे बहà¥à¤¤ विषयों पर चरà¥à¤šà¤¾ किया करते थे।
इतिहास की घटनाओं के कारणों व परिणामों को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ महाराज बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥‡ ढंग से समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ करते थे। à¤à¤• बार उदार विचार के à¤à¤• मौलाना ने जो आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में थे, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के सामने कà¥à¤› शंकाà¤à¤‚ रखीं। आपने मौलवीजी के सब पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° दिये। आपके विचार सà¥à¤¨à¤•à¤° उस मौलाना ने कहा इसà¥à¤²à¤¾à¤®-विषयक आपके गहरे जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से मैं बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हूं। मैंने à¤à¤¸à¥€ यà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• बातें कà¤à¥€ नहीं सà¥à¤¨à¥€à¥¤ हमारे मौलवी इतनी गहराई में जाते ही नहीं।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी के इतिहास विषयक विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पतà¥à¤°-पतà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ इतिहास विषयक लेखों का à¤à¤• संलकन ‘इतिहास दरà¥à¤ªà¤£’ नाम से सनॠ1997 में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हà¥à¤† जिसका समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, लेखक, विचारक और इतिहासकार पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ ने किया है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• और पà¥à¤°à¤¾. जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी के परिचय में लिखा है कि आपने इस ‘इतिहासदरà¥à¤ªà¤£’ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ के लिठबहà¥à¤¤ परिशà¥à¤°à¤® किया है। इस अदà¥à¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ समयों में लिखे गये सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी के लेखों का संगà¥à¤°à¤¹ किया गया है। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का पाठकरने से आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के इतिहास के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में à¤à¤¸à¥€-à¤à¤¸à¥€ बातों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होगा जो बातें लोगों ने कà¤à¥€ न सà¥à¤¨à¥€ हों और धरà¥à¤®-करà¥à¤® के बारे में बहà¥à¤¤-सी शंकाओं का à¤à¥€ इतिहासदरà¥à¤ªà¤£ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• से समाधान होगा। शà¥à¤°à¥€ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने इन लेखों के लिठबहà¥à¤¤ दूर-दूर के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• करने के साथ अनेक संसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं à¤à¤µà¤‚ समाजों में जाकर खोज की है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी बताते हैं कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बड़ा आशà¥à¤šà¤°à¥à¤¯ होता है कि जो बातें धरà¥à¤® और इतिहास के बारे में हमने कà¤à¥€ सà¥à¤¨à¥€ ही नहीं थी, वे बातें जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने खोज निकाली हैं जो इतिहासदरà¥à¤ªà¤£ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में संगà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¤ हैं।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी का संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ परिचय à¤à¥€ जान लेते हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का जनà¥à¤® लà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾ के मोही गà¥à¤°à¤¾à¤® में à¤à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित सिख जाट परिवार में पौष मास की पूरà¥à¤£à¤¿à¤®à¤¾ को सनॠ1877 में हà¥à¤† था। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ के माता-पिता ने आपको ‘केहर सिंह’ नाम दिया था। आपके पिता सेना में सूबेदार मेजर थे। माता समयकौर जब दिवंगत हà¥à¤ˆ तब केहरसिंह बहà¥à¤¤ छोटी अवसà¥à¤¥à¤¾ के बालक थे। आपका पालन आपकी नानी माता महाकौर जी ने आपके ननिहाल लताला में बड़े लाड़-पà¥à¤¯à¤¾à¤° से किया। आपने सà¥à¤•à¥‚ली शिकà¥à¤·à¤¾ मिडल तक पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की। आपके ननिहाल में उदासीन साधà¥à¤“ं के डेरे से आपका समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• हà¥à¤†à¥¤ उसके महनà¥à¤¤ पं. विशनदास जी की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ से आपने संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ पढ़ी। फरीदकोट, ऋषिकेश व अमृसर आदि नगरों में à¤à¥€ कई विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पास अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया। यूनानी व आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का à¤à¥€ आपने गहन अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ किया था। पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने लिखा है कि कई बड़े-बड़े हकीमों ने दयाननà¥à¤¦ मठ, दीनानगर में आपके चरणों में बैठकर आपसे यूनानी व आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¿à¤• चिकितà¥à¤¸à¤¾ की शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की। सनॠ1898 में आपने अपनी लाखों की समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ पर लात मार कर महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° मारà¥à¤— को अपनाया। सनॠ1901 में आपने परवरनड़ गà¥à¤°à¤¾à¤® में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ पूरà¥à¤£à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी से संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸-दीकà¥à¤·à¤¾ लेकर पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤ªà¥à¤°à¥€ नाम पाया और कालानà¥à¤¤à¤° में आप सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤à¥¤ सनॠ1901 में ही आपने दकà¥à¤·à¤¿à¤£-पूरà¥à¤µà¥€ à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ के देशों की धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ यातà¥à¤°à¤¾ की और इसका आरमà¥à¤ कलकतà¥à¤¤à¤¾ के बनà¥à¤¦à¤°à¤—ाह से जलपोत से किया। इस यातà¥à¤°à¤¾ में आपने मलयेशिया, फिलिपीनà¥à¤¸ दà¥à¤µà¥€à¤ªà¤¸à¤®à¥‚ह, हिनà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ व चीन आदि कई देशों का à¤à¥à¤°à¤®à¤£ कर वहां वेदों के अमृतमय जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की वरà¥à¤·à¤¾ की और सनॠ1904 में सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶ लौटे। पà¥à¤°à¤¾. जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी के पूरà¥à¤£à¤°à¥‚पेण आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° से जà¥à¤¡à¤¼à¤¨à¥‡ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डालते हà¥à¤ लिखा है कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी à¤à¥à¤°à¤®à¤£ करते हà¥à¤ वैदिक धरà¥à¤® का ही पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करते थे, परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¾à¤°à¤¤-à¤à¥à¤°à¤®à¤£ से जब पंजाब लैटे तो पं. विशनदास जी ने आपको लताला बà¥à¤²à¤¾à¤•à¤° आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के साथ जà¥à¤¡à¤¼à¤•à¤° धरà¥à¤®à¤ªà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने की आजà¥à¤žà¤¾ दी। आपने इसे पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का बखेड़ा कहकर à¤à¤¸à¤¾ करने में संकोच दिखाया परनà¥à¤¤à¥ पं. विशनदास जी का आदेश मानते हà¥à¤ आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के साहितà¥à¤¯ के विशेष अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में लग गà¤à¥¤ आपकी सà¥à¤®à¤°à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ बहà¥à¤¤ अचà¥à¤›à¥€ थी। पनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¹ दिनों में ही आपने गीता के सात सौ शà¥à¤²à¥‹à¤• कणà¥à¤ सà¥à¤¥ कर लिये। अब थोड़े से समय में आपने आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सब महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ छोटे-बड़े गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ करके आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ की सेवा के लिठसमरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हो गये। आपने पं. विशनदास जी के साथ पहली बार आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ मोगा के वारà¥à¤·à¤¿à¤•à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ में à¤à¥€ à¤à¤¾à¤— लिया। अपनी दूसरी वेद पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° यातà¥à¤°à¤¾ में आपने मारीशस में तीन वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक वेदों का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° किया। वहां से लौटने के समय तक मारीशस में 58 आरà¥à¤¯ समाजें सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•à¥€ थीं। आपके जाने से पूरà¥à¤µ यह संखà¥à¤¯à¤¾ 13 थी और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में यह संखà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤• सौ से अधिक है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ ने देश की आजादी के आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ में à¤à¥€ सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¤¾à¤— लिया था। पराधीनता के काल में हैदराबाद में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को धारà¥à¤®à¤¿à¤• आजादी नहीं थी। पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ व बंगलादेश में हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं पर जो पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ व दमघोटू वातावरण है, वैसा ही वातावरण तब हैदराबाद के हिनà¥à¤¦à¥à¤œà¤—त में था। कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ व इसके पà¥à¤°à¤®à¥à¤– नेताओं को हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के धारà¥à¤®à¤¿à¤• अधिकारों के इस हनन पर कोई सहानà¥à¤à¥‚ति नहीं थी। अतः आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ को सनॠ1939 में वहां à¤à¤• अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ करना पड़ा जिसके फीलà¥à¤¡ मारà¥à¤¶à¤² सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¤à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी थे। यह आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ पूरà¥à¤£ सफल रहा। देश की आजादी के बाद à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¥à¤® उपपà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ और गृहमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सरदार वलà¥à¤²à¤à¤à¤¾à¤ˆ पटेल ने हैदराबाद का à¤à¤¾à¤°à¤¤ में विलय कराया और यह सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° किया कि इस हैदराबाद रियासत के à¤à¤¾à¤°à¤¤ गणराजà¥à¤¯ में विलय की à¤à¥‚मिका आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सतà¥à¤¯à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ ने तैयार की थी। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने विशà¥à¤µ के अनेक देशों में पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने के साथ à¤à¤¾à¤°à¤¤ में राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°, दलितोदà¥à¤§à¤¾à¤° कारà¥à¤¯ व गोहतà¥à¤¯à¤¾ निवारण के अनेक पà¥à¤°à¤¶à¤‚सनीय कारà¥à¤¯ किये। आपका जीवन अनेक पेà¥à¤°à¤°à¤£à¤¾à¤ªà¥à¤°à¤¦ घटनाओं से पूरà¥à¤£ है। धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° में आपने अपने धरà¥à¤® पिता महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ के जीवन के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही अपने जीवन व चरितà¥à¤° को ढ़ाला था। पà¥à¤°à¤¾. राजेनà¥à¤¦à¥à¤° जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने आपका जीवनचरित लिखकर à¤à¤• अà¤à¥‚तपूरà¥à¤µ कारà¥à¤¯ किया है। 3 अपà¥à¤°à¥ˆà¤², 1955 को 78 वरà¥à¤· की आयॠमें आपने नशà¥à¤µà¤° शरीर छोडा। जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ जी ने लिखा है कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€à¤œà¥€ गोधन की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठवीरगति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ शहीद हà¥à¤à¥¤
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के उनके योगà¥à¤¯à¤¤à¤® शिषà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• थे। उनका यशसà¥à¤µà¥€ जीवन देशवासियों की à¤à¤• आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ सामाजिक धरोहर व पूंजी है। उनसे मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ लेकर देश और समाज को उनà¥à¤¨à¤¤ किया जा सकता है। हम इस महापà¥à¤°à¥à¤· को उनके यशसà¥à¤µà¥€ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठअपनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤‚जलि अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हैं।
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